मोदी जी ने सच्ची सच्ची बोलकर क्या ग़लत किया?: वुसअत का ब्लॉग
मुझे ऐसे लोगों से अब चिढ़ होने लगी है जो आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर खिल्ली उड़ाने या आलोचना करने का कोई मौक़ा हाथ से नहीं जाने देते.
मोदी जी ने आख़िर ये सच्ची-सच्ची बताकर कौन सा अपराध कर दिया कि बालाकोट पर हमले से कुछ देर पहले तक उनके मन में क्या-क्या चल रहा था.
उन्होंने सिर्फ़ इसलिए बारिश और बादलों के होते वायुसेना को हमले का हुक्म दिया क्योंकि पाकिस्तानी रडार बादलों की वजह से आते-जाते भारतीय विमानों को ठीक से नहीं देख पाएंगे.
आलोचकों को थोड़ा तो सोचना चाहिए कि भारत जैसे परमाणु शक्तिशाली देश का प्रधानमंत्री इतना ग़ैर ज़िम्मेदार कैसे हो सकता है कि सिर्फ़ अपनी अटकल, अंदाज़े या आंकड़े के बल पर इतना बड़ा फ़ैसला ले ले.
यक़ीनन उन्हें सलाहकारों ने ब्रीफ़िंग दी होगी कि पाकिस्तानी रडार इतने दमदार और आधुनिक नहीं है कि बादलों के आर-पार या रात में देख सकें, इसलिए रात में राम भरोसे विमान भेजे जा सकते हैं.
अगर आपको ये थ्योरी नहीं पचती तो ख़ुद तजुर्बा करके देख लें. क्या आप बादलों के दूसरी तरफ़ देख सकते हैं. अगर नहीं तो फिर धरती पर मौजूद आपका ही बनाया रडार कैसे देख सकता है. और ऐसे रडार के लिए रात के अंधेरे में आसमान खोजना तो और भी मुश्किल हो जाता होगा. इसलिए बालाकोट पर विमान दिनदहाड़े नहीं बल्कि आधी रात को भेजे गए.
मैं 2003 से आज तक यही गुत्थी सुलझाता रहा कि अमरीकी विमान आख़िर बग़दाद पर रात को ही क्यों हल्ला बोलते थे, दिन में क्यों बमबारी नहीं करते थे. अमरीका ने ओसामा को पकड़ने के लिए रात को ही क्यों हेलिकॉप्टर अफ़ग़ानिस्तान से एबटाबाद भेजे.
मोदी जी के विचार सुनकर समझ आया की वजह क्या थी. अगर आपको अब भी इतनी मोटी बात समझ नहीं आ रही तो एक और उदाहरण देता हूं. ये तो रोज़ ही होता है जब मौसम ख़राब हो तो उड़ाने कैंसिल हो जाती हैं क्योंकि सिविलियन विमानों के रडार या फिर सिविल एविएशन के ग्राउंड रडार शायद ठीक ठीक काम नहीं करते होंगे.
मगर मोदी जी के पर्दाफ़ाश करने के बाद अब शायद पाकिस्तान भी भारत की नक्काली पर उतर आए और जब भी हमला करना हो तो रडार से बचने के लिए रात को बादलों की ओट में करे.
ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान ने बालाकोट का बदला लेने के लिए भारत में घुसकर अब तक इसलिए हमला न किया हो क्योंकि भारत के पास यक़ीनन ऐसे रडार हैं जो बादलों के आरपार भी देख सकते हैं और घुप्प अंधेरे में भी.
मुझे आश्चर्य भी है और दुख भी. पाकिस्तान हथियारों पर इतने पैसे ख़र्च करता है. उसे कभी ये ख्याल क्यों नहीं आया कि अगर अमरीका से नहीं मिल रहे तो कम से कम चीन से ही दो चार ऐसे रडार ले ले जो बादलों के आरपार देख सकते हों.
लगता है या तो ऐसे रडार बहुत महंगे होते हैं या फिर चीन उन्हें बेचना नहीं चाहता या ये भी हो सकता है कि चीन के पास भी ऐसे रडार न हों.
मोदी जी को अगली बार चीन के रडारों को भी चेक करके उसकी पोल खोल देने के बारे में सोचना चाहिए. चीन चेक हो गया तो पाकिस्तान भी सीधा हो जाएगा. न रहेगा बांस न रहगी बांसुरी.
मोदी जी के इस आंखें खोल इंटरव्यू के बाद मेरी दुआ है कि वो ये चुनाव भी भारी बहुमत से जीतें. कराची मैं बैठे पत्रकार के तौर पर मैं भारत को इससे बड़ी दुआ और क्या दूं.
मोदी जी ने आख़िर ये सच्ची-सच्ची बताकर कौन सा अपराध कर दिया कि बालाकोट पर हमले से कुछ देर पहले तक उनके मन में क्या-क्या चल रहा था.
उन्होंने सिर्फ़ इसलिए बारिश और बादलों के होते वायुसेना को हमले का हुक्म दिया क्योंकि पाकिस्तानी रडार बादलों की वजह से आते-जाते भारतीय विमानों को ठीक से नहीं देख पाएंगे.
आलोचकों को थोड़ा तो सोचना चाहिए कि भारत जैसे परमाणु शक्तिशाली देश का प्रधानमंत्री इतना ग़ैर ज़िम्मेदार कैसे हो सकता है कि सिर्फ़ अपनी अटकल, अंदाज़े या आंकड़े के बल पर इतना बड़ा फ़ैसला ले ले.
यक़ीनन उन्हें सलाहकारों ने ब्रीफ़िंग दी होगी कि पाकिस्तानी रडार इतने दमदार और आधुनिक नहीं है कि बादलों के आर-पार या रात में देख सकें, इसलिए रात में राम भरोसे विमान भेजे जा सकते हैं.
अगर आपको ये थ्योरी नहीं पचती तो ख़ुद तजुर्बा करके देख लें. क्या आप बादलों के दूसरी तरफ़ देख सकते हैं. अगर नहीं तो फिर धरती पर मौजूद आपका ही बनाया रडार कैसे देख सकता है. और ऐसे रडार के लिए रात के अंधेरे में आसमान खोजना तो और भी मुश्किल हो जाता होगा. इसलिए बालाकोट पर विमान दिनदहाड़े नहीं बल्कि आधी रात को भेजे गए.
मैं 2003 से आज तक यही गुत्थी सुलझाता रहा कि अमरीकी विमान आख़िर बग़दाद पर रात को ही क्यों हल्ला बोलते थे, दिन में क्यों बमबारी नहीं करते थे. अमरीका ने ओसामा को पकड़ने के लिए रात को ही क्यों हेलिकॉप्टर अफ़ग़ानिस्तान से एबटाबाद भेजे.
मोदी जी के विचार सुनकर समझ आया की वजह क्या थी. अगर आपको अब भी इतनी मोटी बात समझ नहीं आ रही तो एक और उदाहरण देता हूं. ये तो रोज़ ही होता है जब मौसम ख़राब हो तो उड़ाने कैंसिल हो जाती हैं क्योंकि सिविलियन विमानों के रडार या फिर सिविल एविएशन के ग्राउंड रडार शायद ठीक ठीक काम नहीं करते होंगे.
मगर मोदी जी के पर्दाफ़ाश करने के बाद अब शायद पाकिस्तान भी भारत की नक्काली पर उतर आए और जब भी हमला करना हो तो रडार से बचने के लिए रात को बादलों की ओट में करे.
ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान ने बालाकोट का बदला लेने के लिए भारत में घुसकर अब तक इसलिए हमला न किया हो क्योंकि भारत के पास यक़ीनन ऐसे रडार हैं जो बादलों के आरपार भी देख सकते हैं और घुप्प अंधेरे में भी.
मुझे आश्चर्य भी है और दुख भी. पाकिस्तान हथियारों पर इतने पैसे ख़र्च करता है. उसे कभी ये ख्याल क्यों नहीं आया कि अगर अमरीका से नहीं मिल रहे तो कम से कम चीन से ही दो चार ऐसे रडार ले ले जो बादलों के आरपार देख सकते हों.
लगता है या तो ऐसे रडार बहुत महंगे होते हैं या फिर चीन उन्हें बेचना नहीं चाहता या ये भी हो सकता है कि चीन के पास भी ऐसे रडार न हों.
मोदी जी को अगली बार चीन के रडारों को भी चेक करके उसकी पोल खोल देने के बारे में सोचना चाहिए. चीन चेक हो गया तो पाकिस्तान भी सीधा हो जाएगा. न रहेगा बांस न रहगी बांसुरी.
मोदी जी के इस आंखें खोल इंटरव्यू के बाद मेरी दुआ है कि वो ये चुनाव भी भारी बहुमत से जीतें. कराची मैं बैठे पत्रकार के तौर पर मैं भारत को इससे बड़ी दुआ और क्या दूं.
Comments
Post a Comment