मिंत्रा के सीईओ अनंत नारायण ने इस्तीफा दिया, अब फ्लिपकार्ट के अमर लीड करेंगे
ऑनलाइन फैशन रिटेलर मिंत्रा के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) अनंत नारायणन ने पद से इस्तीफा दे दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले से सीधे तौर पर जुड़े सूत्र ने बताया कि फ्लिपकार्ट के एग्जीक्यूटिव अमर नागाराम अब इस यूनिट का नेतृत्व करेंगे। अनंत का इस्तीफा भी इसी बदलाव के चलते किया गया है।
नए सीईओ से अच्छे नहीं थे रिश्ते- रिपोर्ट
मिंत्रा फ्लिपकार्ट की ही ऑनलाइन फैशन रिटेलर यूनिट है। फ्लिपकार्ट की 70 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने खरीदी है। नारायणन ने जुलाई 2015 में मिंत्रा के सीईओ का पद संभाला था। इससे पहले वे मैकिंजे एंड कंपनी से जुड़े हुए थे। फ्लिपकार्ट के सीईओ बिन्नी बंसल ने नवंबर में यौन शोषण के आरोपों के चलते इस्तीफा दे दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, नए ग्रुप सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति के साथ नारायणन के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। बिन्नी बंसल के इस्तीफे के बाद नारायणन की रिपोर्टिंग कल्याण को हो गई। कृष्णमूर्ति के कामकाज का तरीका अलग है।
मिंत्रा से अब तक 150 लोग निकाले गए
रिपोर्ट के मुताबिक, मिंत्रा के चीफ रेवेन्यू अफसर मिथुन सुंदर, एचआर हेड मनप्रीत राटिया ने भी इस्तीफा दे दिया है।
हालांकि, अमर के इस्तीफे को लेकर एजेंसी की तरफ से भेजे गए ई-मेल का मिंत्रा ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
मिंत्रा और दूसरी ऑनलाइन फैशन रिटेलर जोबोंग से अब तक करीब 150-200 लोगों को निकाला गया है। आने वाले वक्त में और ज्यादा लोगों को निकाले जाने की खबर है।
इस्तीफे की खबर अनंत के उस इंटरव्यू के कुछ दिनों बाद ही आई है, जिसमें उन्होंने कहा था- बिन्नी बंसल के इस्तीफे के बाद उच्च पदों पर होने वाले बदलावों के बावजूद मैं ऑपरेशंस का नेतृत्व जारी रखूंगा।
चीन की टेक कंपनियां कई मामलों में अमेरिकी कंपनियों की तुलना में कम रुकावट वाली हैं। इनके लिए फेसबुक जैसी कंपनियों की तरह डेटा लीक और डिजिटल एडिक्शन जैसे मुद्दे बड़ी समस्या नहीं हैं।
चीन में सिर्फ एक नियम चलता है- 'देश को नुकसान मत पहुंचाओ।' इसीलिए वीबो और बेदू जैसी टेक कंपनियां सेंसरशिप के आदेशों का ध्यान रखती हैं। वो गैर जरूरी विचारधारा से भी दूर रहती हैं।
चीन के नेता भी इंटरनेट को पसंद करते हैं। अब वो अपने देश के टेक टैलेंट को नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। वो टेक्नोलॉजी के जरिए इकोनॉमी में इनोवेशन लाना चाहते हैं।
टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए चीन का मार्केट काफी माकूल है। वहां एक स्टार्टअप भी बहुत जल्द खुद को कामयाब कंपनी में बदल सकता है। चीन में इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को लेकर ज्यादा रेग्युलेशन नहीं हैं। कंपनियां एक-दूसरे की टेक्नोलॉजी में सेंधमारी कर सकती हैं। हालांकि, यह इनोवेशन के लिए तो अच्छा नहीं है। लेकिन, कंज्यूमर को नए-नए ऑप्शन मिल जाते हैं।
नए सीईओ से अच्छे नहीं थे रिश्ते- रिपोर्ट
मिंत्रा फ्लिपकार्ट की ही ऑनलाइन फैशन रिटेलर यूनिट है। फ्लिपकार्ट की 70 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने खरीदी है। नारायणन ने जुलाई 2015 में मिंत्रा के सीईओ का पद संभाला था। इससे पहले वे मैकिंजे एंड कंपनी से जुड़े हुए थे। फ्लिपकार्ट के सीईओ बिन्नी बंसल ने नवंबर में यौन शोषण के आरोपों के चलते इस्तीफा दे दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, नए ग्रुप सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति के साथ नारायणन के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। बिन्नी बंसल के इस्तीफे के बाद नारायणन की रिपोर्टिंग कल्याण को हो गई। कृष्णमूर्ति के कामकाज का तरीका अलग है।
मिंत्रा से अब तक 150 लोग निकाले गए
रिपोर्ट के मुताबिक, मिंत्रा के चीफ रेवेन्यू अफसर मिथुन सुंदर, एचआर हेड मनप्रीत राटिया ने भी इस्तीफा दे दिया है।
हालांकि, अमर के इस्तीफे को लेकर एजेंसी की तरफ से भेजे गए ई-मेल का मिंत्रा ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
मिंत्रा और दूसरी ऑनलाइन फैशन रिटेलर जोबोंग से अब तक करीब 150-200 लोगों को निकाला गया है। आने वाले वक्त में और ज्यादा लोगों को निकाले जाने की खबर है।
इस्तीफे की खबर अनंत के उस इंटरव्यू के कुछ दिनों बाद ही आई है, जिसमें उन्होंने कहा था- बिन्नी बंसल के इस्तीफे के बाद उच्च पदों पर होने वाले बदलावों के बावजूद मैं ऑपरेशंस का नेतृत्व जारी रखूंगा।
चीन की टेक कंपनियां कई मामलों में अमेरिकी कंपनियों की तुलना में कम रुकावट वाली हैं। इनके लिए फेसबुक जैसी कंपनियों की तरह डेटा लीक और डिजिटल एडिक्शन जैसे मुद्दे बड़ी समस्या नहीं हैं।
चीन में सिर्फ एक नियम चलता है- 'देश को नुकसान मत पहुंचाओ।' इसीलिए वीबो और बेदू जैसी टेक कंपनियां सेंसरशिप के आदेशों का ध्यान रखती हैं। वो गैर जरूरी विचारधारा से भी दूर रहती हैं।
चीन के नेता भी इंटरनेट को पसंद करते हैं। अब वो अपने देश के टेक टैलेंट को नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। वो टेक्नोलॉजी के जरिए इकोनॉमी में इनोवेशन लाना चाहते हैं।
टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए चीन का मार्केट काफी माकूल है। वहां एक स्टार्टअप भी बहुत जल्द खुद को कामयाब कंपनी में बदल सकता है। चीन में इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को लेकर ज्यादा रेग्युलेशन नहीं हैं। कंपनियां एक-दूसरे की टेक्नोलॉजी में सेंधमारी कर सकती हैं। हालांकि, यह इनोवेशन के लिए तो अच्छा नहीं है। लेकिन, कंज्यूमर को नए-नए ऑप्शन मिल जाते हैं।
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